आहत-मन
दिल के टूटने की आहट कहाँ होती हैं ****
चंद किरचे जब सुई -सी चुभती हैं ****
तब दर्द का एहसास होता हैं ****
मन धायल हो कराहता हैं ****
दिल टूट जाता हैं ****
आँखों से अश्क बहते हैं ****
गम -ऐ - इश्क किसे सुनाऊ ****
कोई तो अपना नहीं ?
इस बेगानी सरजमी पर --
किसे तलाशती मेरी आँखे ****
कहाँ खोजू अपनापन****
क्यों हर कोई मस्त हैं ?
क्यों अपने नहीं देते आसरा ?
हम बेगानों को हसरत से तकते हैं ****
जब छला जाता हें इस दिल को *****
हम जख्मो की तरह रिसते हैं****
हाथो से फिसलती बालू -का राशी****
हम रेत के घरोंधे बीनते हैं ****
क्यों पत्थरो पर ठहरता नहीं पानी ?
हम लहरों की तरह सर फोड़ते हैं ****
हाथो में लिए पत्थर जब लोग निकलते हैं ****
तब हम क्यों शीशो के महलों में रहते हैं ****
वो हाथो में उठाते हैं खंज़र जब भी --?
हम क्यों सरे- आम कत्ल होते हैं ****
क्यों बिना गुनाह सजा मिलती हैं ?
गुनहगार यु ही खुले आम घूमते हैं ?
समय छलावे की मानिंद हाथो से निकला जा रहा हैं ---
छलनी पकड कर हाथो में वक्त यु ही जाया करते हैं ---
इसी कशमकश में गुज़र रही हैं जिंदगी ---'दर्शन'---
तुम्हें अपनाऊ या छोड़ दूं -------क्या करू दिलबर **************???
तल्खियाँ बहुत मिली जमाने की यारब !
तेरा दीदार मिल जाता तो कोई बात थी !
7 comments:
:) wah darshan jee!!
tute dil ko bade pyar se uker diya aapne!!
kyon itna dard samet rakhe ho...:)
jaise bindass aap ho, waise hi dikho na kavita me bhi:)
pyari si rachna!!
समय छलावे की मानिंद हाथो से निकला जा रहा हैं ---yahi katu sach hai
sach mein bahut kashmkash hoti hai zindgi mein. kabhi dil tootata hai kabhi man haarta hai, par zindgi hai ki rukti nahin bas...
sundar rachna, badhai.
सुन्दर और सार्थक रचना के लिए बहुत- बहुत बधाई .
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें.
सुन्दर और सार्थक रचना ...
अभिव्यंजना में आप की प्रतीक्षा है...
तल्खियाँ बहुत मिली जमाने की यारब !
तेरा दीदार मिल जाता तो कोई बात थी !
बहुत ही अच्छी रचना । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है ।
.धन्यवाद ।
बहुत सार्थक प्रस्तुति .....
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