दिवा--स्वप्न
दिवा स्वप्न देख-देख अब बहुत खुश हो चुकी ,
चैन से रातो को सोना भी अब तो मुहाल हो गया !
आकाश की गहराइयो को लांधकर बहुत थक चुकी ,
पैर जमीं पर रखना भी अब तो मुहाल हो गया !
पंखो को देखती हूँ अपनी कातर निगाहों से मैं ,
ये कब के कट चुके, अब तो दर्द भी इनका तो मुहाल हो गया !
प्यार की रंगीनियों में सिमट जाना चाहती थी,
तेरी बेरुखी को सहना अब तो मुहाल हो गया !
दुरी अब तो मुझसे सही नहीं जाती तेरी ,
यह रस्मे -जुदाई अब तो काटना भी मुहाल हो गया .!
खुशनसीबी पर तेरी मैं निसार हूँ यारा ,
मेरी जिन्दगी में अब वो उजाला भी मुहाल हो गया !
वो दिल ही क्या जिसमें तेरी कसक न हो ?
तेरी आरजू को दिल में रखना ही अब तो मुहाल हो गया !
रख रखी हैं तेरी यादो को इस मंदिर में सजाए 'दर्शी ',
तेरे संग अब जीना -मरना भी मुहाल हो गया ...!
"काश,उसे चाहने का अरमान न होता
दिल होश में होता और वो अनजान न होता ..!
प्यार न होता किसी पत्थर -दिल से मुझे ,
या रब !उससा कोई पत्थर -दिल इंसान न होता ..!"
13 comments:
दिवा स्वप्न देख-देख अब बहुत खुश हो चुकी ,
चैन से रातो को सोना भी अब तो मुहाल हो गया !
आकाश की गहराइयो को लांधकर बहुत थक चुकी ,
पैर जमीं पर रखना भी अब तो मुहाल हो गया !
....बहुत खूब! लाज़वाब अहसास...बहुत सुंदर भावमयी अभिव्यक्ति..
"काश,उसे चाहने का अरमान न होता
दिल होश में होता और वो अनजान न होता ..!
प्यार न होता किसी पत्थर -दिल से मुझे ,
या रब !उससा कोई पत्थर -दिल इंसान न होता ..!"waah, kya baat kahi hai
वाह!!!!!!!बहुत सुंदर रचना,,अच्छी लगी,....
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"काश,उसे चाहने का अरमान न होता
दिल होश में होता और वो अनजान न होता ..!
प्यार न होता किसी पत्थर -दिल से मुझे ,
या रब !उससा कोई पत्थर -दिल इंसान न होता ..!"
kya baat hai Darshan jee!! aapne to dil se juri badi gambhir baaten shabdo me uker di..:)
khubsurat rachna!!
खूबसूरत। काव्य कौशल की झलक प्रभावशाली है !
वाह ...बहुत खूब कहा है।
बहुत सुंदर रचना.
या रब !उससा कोई पत्थर -दिल इंसान न होता .
बहुत सुन्दर ..आभार
Bahut hi sundar likha h ji.
"टिप्स हिंदी में" ब्लॉग की तरफ से आपको नए साल के आगमन पर शुभ कामनाएं |
टिप्स हिंदी में
बहुत सुन्दर रचना...
सादर.
आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !
चित्र बहुत सुन्दर लगा! उम्दा रचना!
"काश,उसे चाहने का अरमान न होता
दिल होश में होता और वो अनजान न होता ..!
प्यार न होता किसी पत्थर -दिल से मुझे ,
या रब !उससा कोई पत्थर -दिल इंसान न होता ..!"
lajabab rachana ke liye badhai Darshan ji .
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