Wednesday, November 16, 2011

उल्फत

उल्फत 



तुझसे दूर रहना मेरी आदत नहीं 
पास रहू ये मेरी किस्मत नहीं 



दूर होते हो तो  बीमार -सी  हो जाती हूँ  ?
पास रहते हो तो सरशार -सी हो जाती हूँ ? 
मांगना  मेरी फितरत में नहीं हैं लेकिन --
जाने क्यों तेरी तलबगार -सी हो जाती हूँ  ?




उसकी सरगोशियाँ, बेताबियाँ,जलते जज्बे,
याद आते हैं तो गुलनार -सी हो जाती हूँ  ?
सोचती हूँ, कभी रूठ ही जाऊ मैं उससे---
        सामने उसके मैं अक्सर लाचार -सी हो जाती हूँ ?



जब तसव्वुर में महक जाती हैं खुशबु उसकी 
फूल बन जाती हूँ गुलजार -सी हो जाती हूँ ?




       

11 comments:

Manish Khedawat said...

kya baat hai :) bahut sunder :)
badhai _/\_

S.N SHUKLA said...

उसकी सरगोशियाँ, बेताबियाँ,जलते जज्बे,
याद आते हैं तो गुलनार -सी हो जाती हूँ ?



सुन्दर रचना , बधाई

रश्मि प्रभा... said...

उसकी सरगोशियाँ, बेताबियाँ,जलते जज्बे,
याद आते हैं तो गुलनार -सी हो जाती हूँ ?
सोचती हूँ, कभी रूठ ही जाऊ मैं उससे---
सामने उसके मैं अक्सर लाचार -सी हो जाती हूँ ?
yahi to pyaar hai

Kunwar Kusumesh said...

जब तसव्वुर में महक जाती हैं खुशबु उसकी
फूल बन जाती हूँ गुलजार -सी हो जाती हूँ ?

gazab ka sher

दिगम्बर नासवा said...

जब तसव्वुर में महक जाती हैं खुशबु उसकी
फूल बन जाती हूँ गुलजार -सी हो जाती हूँ ?

लाजवाब शेर है ... किसी की खुशबू क्या कर जाती है ...

Jeevan Pushp said...

पहली बार आपको पढ़ा
हर शेर उम्दा लिखा है एकदम भावपूर्ण ....!
बहुत बहुत बधाई हो !
मेरे ब्लॉग पे आपका हार्दिक स्वागत है !
सदस्य बन रहा हूँ !

कुमार संतोष said...

Waah !! sunder chitro ke saath sunder kavita. Bahut sunder.

Suman Dubey said...

दर्शन जी नमस्कार, सुन्दर भाव्।

विशाल said...

उसकी सरगोशियाँ, बेताबियाँ,जलते जज्बे,
याद आते हैं तो गुलनार -सी हो जाती हूँ ?
सोचती हूँ, कभी रूठ ही जाऊ मैं उससे---
सामने उसके मैं अक्सर लाचार -सी हो जाती हूँ ?


vaah,darshan ji.bahut khoobsoorat gazal.har sher lajvaab.

Udan Tashtari said...

वाह!! क्या बात है,,,,

Raj said...

हर पल बस उसका दीदार करते हैं हम ख्यालों में,
एक अजनबी मुझे भिगो गया प्यार की बारिश में !

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