उल्फत
तुझसे दूर रहना मेरी आदत नहीं
पास रहू ये मेरी किस्मत नहीं
पास रहू ये मेरी किस्मत नहीं
दूर होते हो तो बीमार -सी हो जाती हूँ ?
पास रहते हो तो सरशार -सी हो जाती हूँ ?
मांगना मेरी फितरत में नहीं हैं लेकिन --
जाने क्यों तेरी तलबगार -सी हो जाती हूँ ?
उसकी सरगोशियाँ, बेताबियाँ,जलते जज्बे,
याद आते हैं तो गुलनार -सी हो जाती हूँ ?
सोचती हूँ, कभी रूठ ही जाऊ मैं उससे---
सामने उसके मैं अक्सर लाचार -सी हो जाती हूँ ?
जब तसव्वुर में महक जाती हैं खुशबु उसकी
फूल बन जाती हूँ गुलजार -सी हो जाती हूँ ?
11 comments:
kya baat hai :) bahut sunder :)
badhai _/\_
उसकी सरगोशियाँ, बेताबियाँ,जलते जज्बे,
याद आते हैं तो गुलनार -सी हो जाती हूँ ?
सुन्दर रचना , बधाई
उसकी सरगोशियाँ, बेताबियाँ,जलते जज्बे,
याद आते हैं तो गुलनार -सी हो जाती हूँ ?
सोचती हूँ, कभी रूठ ही जाऊ मैं उससे---
सामने उसके मैं अक्सर लाचार -सी हो जाती हूँ ?
yahi to pyaar hai
जब तसव्वुर में महक जाती हैं खुशबु उसकी
फूल बन जाती हूँ गुलजार -सी हो जाती हूँ ?
gazab ka sher
जब तसव्वुर में महक जाती हैं खुशबु उसकी
फूल बन जाती हूँ गुलजार -सी हो जाती हूँ ?
लाजवाब शेर है ... किसी की खुशबू क्या कर जाती है ...
पहली बार आपको पढ़ा
हर शेर उम्दा लिखा है एकदम भावपूर्ण ....!
बहुत बहुत बधाई हो !
मेरे ब्लॉग पे आपका हार्दिक स्वागत है !
सदस्य बन रहा हूँ !
Waah !! sunder chitro ke saath sunder kavita. Bahut sunder.
दर्शन जी नमस्कार, सुन्दर भाव्।
उसकी सरगोशियाँ, बेताबियाँ,जलते जज्बे,
याद आते हैं तो गुलनार -सी हो जाती हूँ ?
सोचती हूँ, कभी रूठ ही जाऊ मैं उससे---
सामने उसके मैं अक्सर लाचार -सी हो जाती हूँ ?
vaah,darshan ji.bahut khoobsoorat gazal.har sher lajvaab.
वाह!! क्या बात है,,,,
हर पल बस उसका दीदार करते हैं हम ख्यालों में,
एक अजनबी मुझे भिगो गया प्यार की बारिश में !
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