Wednesday, March 14, 2012

* मेरी माँ *



*  मेरी माँ  *



मोम की तरह पिगलती रहती है 
शमां बन जलती रहती है 
हमरा हर काम अपनी शक्ति से परे करती है  
हमे परेशां देख ,खुद मन ही मन कुढती है 
हाँ ,यह मेरी माँ है !
हाँ, यह मेरी माँ है !
रब से भी ज्यादा मुझको इससे प्यार है |

कभी खुद को साबित नही किया उसने 
हमेशा हमे प्रोत्साहित किया उसने 
हमारी हर गलती को माफ़ किया उसने 
हममे हर शक्ति का संचार किया उसने 
हाँ ,यह मेरी माँ है !
हाँ ,यह मेरी माँ है !
रब से भी ज्यादा मुझको इससे प्यार है |

खुदा से ज्यादा हमने उसका मान किया 
खुद को खुद से ज्यादा कुर्बान किया 
हमेशा उसके आंचल में आराम किया 
माँ की क्या शे है इसका हमने ज्ञान किया  
हाँ ,यह मेरी माँ है !
हाँ यह मेरी माँ है !
रब से भी ज्यादा मुझको इससे प्यार है |

सपनो से परे एक जहां और भी है 
एक जमी एक आसमान और भी है 
इस पथरीली धरा पे हमे आगे बढना है 
होसले बुलंद हो ,सफलता कदम चूमे 
हर कठिनाई से आगाज़ किया इसने 
   हाँ ,यह  मेरी माँ है !
   हाँ यह मेरी माँ है   !
रब से भी ज्यादा मुझको इससे प्यार है |

दिनभर खटकती रहती है हमारी ख़ुशी के लिए 
रातो को चोंक उठती है .हमारी परेशानी के लिए 
खुद कांटो पर चलती है ,हमे फूलो पे चलाने के लिए 
खुदगर्ज़ कभी हो नही सकती अपने 'जायो' के लिए
हाँ ,यह मेरी माँ है !
हाँ ,यह मेरी माँ है !
रब से भी ज्यादा मुझको इससे प्यार है | 

"हाँ ,यह मेरी माँ है ?"  


!! माँ तुझे सलाम !!



6 comments:

मेरा मन पंछी सा said...

माँ की महिमा तो ऐसी ही है..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति:-)

Udan Tashtari said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति...माँ तुझे सलाम !!

रश्मि प्रभा... said...

माँ तो ऐसी ही होती है

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति..

देवेन्द्र पाण्डेय said...

माँ के प्रति अर्पित सुंदर भाव।

डॉ. जेन्नी शबनम said...

माँ को समर्पित इस सुन्दर रचना के लिए बधाई.

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