Sunday, June 24, 2012

नादानी....





दो घडी के साथ को हम प्यार समझ बैठे ..
नादानी यह हमसे हुई हम क्या समझ बैठे ...!

उसने चूमा ही था कुछ ऐसे इन पलकों को ..
नादानी यह हमसे हुई हम प्यार समझ बैठे ...!

पकड़ा था उसने हाथ जब भीड़ भरी सडक पर ...
नादानी यह हमसे हुई हम प्यार समझ बैठे ...!

धडकती थी धड़कने उनके नाम से मेरी ..
नादानी यह हमसे हुई हम प्यार समझ बैठे ..!

चाह था उनका साथ रहे जिन्दगी में हर -पल
नादानी यह हमसे हुई हम ख्वाब को सच समझ बैठे ......!



8 comments:

रश्मि प्रभा... said...

पकड़ा था उसने हाथ जब भीड़ भरी सडक पर ...
नादानी यह हमसे हुई हम प्यार समझ बैठे ...! बहुत खूब

मेरा मन पंछी सा said...

बहुत सुन्दर भाव
सुन्दर अभिव्यक्ति...
:-)

kunwarji's said...

अब इस सब को भी प्यार नहीं समझेंगे तो भला किसे प्यार समझेंगे....
बहुत बढ़िया!
कुँवर जी,

Darshan Darvesh said...

चाह था उनका साथ रहे जिन्दगी में हर -पल
नादानी यह हमसे हुई हम ख्वाब को सच समझ बैठे ......! कमाल के हैं सारे ख्याल ..

Satish Saxena said...

बहुत सुंदर रचना ....

संजय भास्‍कर said...

...भावपूर्ण रचना, बधाई

ANULATA RAJ NAIR said...

समझ का फेर है......
क्या पता प्यार ही हो?????
:-)

सादर
अनु

Unknown said...

बहुत खूब लिखा हैं

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