" ये है बाम्बे मेरी जान "
"इस्कॉन"
कृष्ण जन्मअष्टमी पर आपको मैं ले चलती हूँ .....बाम्बे के हरे रामा हरे कृष्णा मंदिर ..जिसे इस्कॉन भी कहते हैं ---
( यह हैं इस्कॉन का प्रवेश द्वार )
(हरे रामा हरे कृष्णा भजन गाते भक्त )
( रुकमा और मैं --मंदिर के प्रगांड में )
( अन्दर के द्रश्य ....कृष्ण का गीता सन्देश --अर्जुन को बताते हुए)
चुपचाप फोटो खिंच रहे थे तो एक सेवक ने आकर मना किया
( स्वामीजी का प्रवचन )
( गोवर्धन पर्वत उठाते हुए श्री कृष्ण)
(भक्ति में लींन )
( छुईमुई राधा --चंचल कृष्ण--)
( यह हैं उज्जैन का इस्कॉन मन्दिर )
( राधा -कृष्ण )
( उज्जैन के मंदिर के अंदर स्वामीजी की मूर्ति )
( इस्कॉन मंदिर के बहार खड़ी मैं )
( मेरे साथ मेरे भाई की फैमिली )
( हाल में बैठे हुए )
अभी यह मंदिर नया हैं ---ज्यादा भीड़ भी नहीं हैं --इस तरह मेरी यात्रा समाप्त हुई !
जल्दी ही मिलेंगे ...मुम्बई के एक नए सफर पर ...
(हरे रामा हरे कृष्णा भजन गाते भक्त )
इस्कॉन या अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ को "हरे कृष्ण आंदोलन" के नाम से भी जाना जाता है। इसे १९६६ में न्यूयॉर्क नगर में भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने प्रारंभ किया था। देश-विदेश में इसके अनेक मंदिर और विद्यालय है।अपने साधारण नियम और सभी जाति-धर्म के प्रति समभाव के चलते इस मंदिर के अनुयायियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हर वह व्यक्ति जो कृष्ण में लीन होना चाहता है, उनका यह मंदिर स्वागत करता है। स्वामी प्रभुपादजी के प्रयासों के कारण दस वर्ष में ही समूचे विश्व में १०८ मंदिरों का निर्माण हो चुका है । इस समय इस्कॉन समूह के लगभग ४०० से अधिक मंदिरों की स्थापना हो चुकी है।
भारत से बाहर विदेशो मे हजारो विदेशी महिलाए साडी पहनकर और पुरुष धोती -कुरता पहनकर दिखाई दे जाएगे -- मांसाहार छोड़ ये प्रभु कृष्ण के कीर्तन करते हुए नजर आएगे ! इस्कान ने पश्चिमी देशो में अनेक भव्य मंदिर और विद्यालय बनाए
जूहू (मुंबई) में स्थित है इस्कॉन का प्रसिद्ध मंदिर !यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है. --यह 1978 में एक आध्यात्मिक केन्द्र के रूप में खोला गया था. तब से इस मंदिर का प्रबंधन इस्कॉन द्वारा किया जाता हैं --
(भक्ति वेदान्त स्वामी प्रभुपादजी )
चित्र:-गूगल जी से
( अन्दर का द्रश्य )
( रुकमा और मैं --मंदिर के प्रगांड में )
इस मंदिर की आध्यात्मिकता जो सर्वोपरि है -- परिसर में एक संगमरमर का मंदिर है जो विशाल है, जिसमें कृष्ण सुभद्रा बलराम की मुर्तिया है --राधा -कृष्ण की भी मूर्ति हैं --एक पुस्तक प्रकाशन घर है, एक रेस्टोरेंट और एक गेस्ट हाउस है---जहां भक्तों के रहने और आध्यात्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने की व्यवस्ता है--हर दिन यहाँ काफी लोग आते है.---जन्माष्टमी पर यहाँ विशेष प्रोग्राम होते हैं ?
( अन्दर के द्रश्य ....कृष्ण का गीता सन्देश --अर्जुन को बताते हुए)
चुपचाप फोटो खिंच रहे थे तो एक सेवक ने आकर मना किया
( स्वामीजी का प्रवचन )
( गोवर्धन पर्वत उठाते हुए श्री कृष्ण)
(भक्ति में लींन )
( राधा और कृष्ण का एक खुबसुरत चित्र )
मंदिर में हमेशा भक्तो का जमावड़ा लगा रहता हें--दोपहर को यह दो बजे बंद होता हैं और ३.३० बजे खुलता हैं --आरती के बाद बहार प्रशाद का वितरण होता हैं ---जो काफी मात्रा में होता हैं ---यहाँ के रेस्टोरेंट में कई तरह की मिठाइयाँ वाजिब दामो में मिलती हें ---यहाँ मिलने वाला वडापाव,समोसा ,ढोकला और चाय की क्वालिटी बहुत उतम होती हें --यहाँ आपको तुलसी माला पहने हुए हाथो में जप् माला लिए हुए अनेक लोग देशी -विदेशी मिल जाएगे ---
( छुईमुई राधा --चंचल कृष्ण--)
अब आपको ले चलती हूँ -- उज्जैन के इस्कॉन मंदिर में ----जहाँ कुछ दिन पहले मैं गई थी ----
( यह हैं उज्जैन का इस्कॉन मन्दिर )
( राधा -कृष्ण )
( उज्जैन के मंदिर के अंदर स्वामीजी की मूर्ति )
( इस्कॉन मंदिर के बहार खड़ी मैं )
( मेरे साथ मेरे भाई की फैमिली )
( हाल में बैठे हुए )
अभी यह मंदिर नया हैं ---ज्यादा भीड़ भी नहीं हैं --इस तरह मेरी यात्रा समाप्त हुई !
जल्दी ही मिलेंगे ...मुम्बई के एक नए सफर पर ...