क्यों ढूंढती हैं अंखिया तेरे दीदार को सनम !
एक तेरी याद काफी नहीं,मुझे मिटाने के लिए !!
एक बूंद मै'य को तरसते हैं होठ मेरे ,
कभी आकर मयखाना तो बता दे जालिम !!
उल्फत की ठोकरों ने बना दिया पत्थर हमे !
हम दिल को ढूंढते हैं ,दिल हमको ढूंढता हैं !!
अंधेरो से कहो कोई और घर ढूंढें ,
मेरे घर सजी हैं डोली उजालो की !!
आज बिजली नहीं हैं मेरे आँगन में सनम !
सितारों से कह दो मेरा घर सजा दे ! !
उनकी यादो के कमल, उनके प्यार का एहसास !
बस ! यही खजाना तो बचा हैं मेरे पास !!
आज भी बिजली नहीं मेरे घर अँधेरा हैं !
रौशनी ढूंढ कर लाओ के दूर सवेरा हैं !!
ज़हर का प्याला हाथ में पकडाया उस संगदिल ने !
हम तो पहले से ही मर चुके थे,उसकी यादो के बवंडर में !!
अँधेरा मांग रहा था रौशनी उधार !
एक तिल्ली न बची आशियाँ जलाने के लिए !!