दिलकश चाँद !
यह कविता 'साहित्य प्रेमी संध' के काव्य संग्रह में छपी हुई हैं
यह कविता 'साहित्य प्रेमी संध' के काव्य संग्रह में छपी हुई हैं
" चलो दिलदार चलो
चाँद के पार चलो "
तुम्हारी चमकती आँखों में छांककर पूछती--
और तुम अपनी मदमस्त आँखों को घुमाकर कहते --
" हम हैं तैयार चलो "--
और मैं ख़ुशी के हिंडोले में सवार
दू.....र... आकाश में अपने पंख पसार
बादलो से परे,
चाँद की पथरीली जमीं पर,
उड़ते -उड़ते घायल हो चुकी हूँ ,
अपने लहू -लुहान जिस्म को समेटे ,
कातर निगाहों से तुम्हे धूर रही हूँ ,
और तुम दू....र खड़े मुसकुराते हुए,
मानो,मेरा मजाक उड़ा रहे हो---
" चाँद को छूने वाले ओंधे मुंह जो गिरते है "
मैं सोच रही हूँ की यह चाँद दूर से कितना ,
हसीन !कितना दिलकश था !
क्यों मैने इसके नजदीक जाने का साहस किया !
तुम भी तो ' राज' !
उस चाँद की तरह हो ,
जिसे मैं देख तो सकती हूँ ,
पर छू नही सकती ----?
अपने तन -मन को घायल कर --
आज सवालों के घेरे में खड़ी हूँ --!
दू......र से आवाज आ रही हैं --
" आओ खो जाए सितारों में कहीं
छोड़ दे आज ये दुनिया ये जमीं "
चलो दिलदार चलो
चाँद के पार चलो
हम हैं तैयार चलो ~~~~~~~!
10 comments:
kya bat haiji.....
sach me kahi doooooooooor nikal gaye the padhte-padhte....
मैं सोच रही हूँ की यह चाँद दूर से कितना ,
हसीन !कितना दिलकश था !
क्यों मैने इसके नजदीक जाने का साहस किया ! ...बहुत खूब
बहूत बेहतरीन दिल को घायल कर देनेवाली भाव संयोजन है ,
लाजवाब ,एक एक शब्द सिधा दिल को छु जाते है..
वो अकेला कहाँ तेरे वजूद का साया साथ है,
इस रात की चांदनी में चाँद प्यार के साथ है,
दूरियां इन्हें कब और कहाँ दूर कर पाती हैं,
सपनों में भी इसके हाथो में तेरा हाथ है !
बहुत खूब!
" चाँद को छूने वाले ओंधे मुंह जो गिरते है "
सही कहा आपने. भाव पूर्ण रचना.
सादर.
बहुत खूब अच्छी प्रासंगिक रचना बधाई स्वीकार करें |
" चलो दिलदार चलो
चाँद के पार चलो "
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बहुत अच्छी रचना.......... |
बहुत ही सुन्दर रचना है आप की ,कई पंक्तियाँ दिल को छू गयी ,पहली बार आप का ब्लॉग देखा ,आप को फोलो के रही हूँ,उम्मीद है आप की रचनाये फिर खीच लाएगी यहाँ .......
nice post keep writing.
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